किताबों में पढ़ा था कि १९३० और १९४२ का आन्दोलन कैसे हुआ ? देखा नहीं था कि उस
समय लोगो के मन में देशभक्ति का कैसा जज्बा था ....अन्ना के आन्दोलन में जाने
के बाद पता चला लगा कि हम किसी क्रांति के युग में पहुँच गए है और हमारा जोश
दुगुना हो गया है ...नजदीक से अन्ना को देखने का मौका मिला .....मैंने गाँधी के
बारे में काफी कुछ पढ़ा है और गांधीवाद का प्रशंषक भी हूँ .....कल वाकई लगा कि
अन्ना के रूप में गाँधी को देख लिया....
ज़िन्दगी में मुझे इतनी ख़ुशी कभी नहीं मिली जितनी इस आन्दोलन से जुड़ कर मिली
...ऐसा लगा हमारा भी योगदान है ...और मज़बूत लोकपाल बिल आया तो हम भी कहेंगे कि
हमने इसके लिए आन्दोलन किया था ....हम तो भाई , १० बजे सुबह ही पहुँच गए
रामलीला मैदान ...और सबसे पहले आज के गाँधी को दूर से ही दर्शन किया और उसके
बाद देश भक्ति के गीतों के साथ सुर मिलाया ....लोग स्वेच्छा से आ रहे थे ..उनसे
बात कर ऐसा लगा कि वाकई वे भ्रष्टाचार से बहुत परेशान है ...और उनके अंदर कुछ
करने कि भावना भरी हुई है ...कुछ लोग कहते है कि वे केवल कैमरे के सामने आने के
लिए जा रहे है ...लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगा और फिर इस वजह से इतनी भीड़ कभी नहीं
जुट सकती .ऐसा वही लोग कह रहे है जिन्होंने शारीरिक रूप से वहां पर उपस्थित
नहीं हुए है ....
मुझे तो ऐसा लगा कि लोग अभिभूत है ...इस आन्दोलन से और कई लोग तो ऐसे थे जो
अपने आप को इस आन्दोलन से जुड़ कर धन्य मान रहे थे , उन्हीं लोगों में से मै भी
एक हूँ .....और यह भी याद आया कि वन्दे मातरम् कैसे लोगो में जोश भर देता है
....आज़ादी के समय में भी ऐसा ही हुआ होगा ....जो लोग इसे साम्प्रदायिकता कि नज़र
से देख रहे है उन्हें साम्प्रदायिकता का अर्थ भी नहीं मालूम .....वैसे मै सोचता
हूँ जन लोकपाल जैसे छोटे से मुद्दे के लिए अनशन करना पड़े ...इसका अर्थ है
हमारी लोकतान्त्रिक प्रणाली में कुछ खोट जरुर है .....मै भी एक गाँधी टोपी लाया
हूँ ...और जबतक जन लोकपाल बिल पास नहीं होता ,उसे पहन कर अपनी तरफ से लोगों
को बताने कि कोशिश करूँगा कि ये जन लोकपाल क्या है और किस प्रकार भर्ष्टाचार पर
अंकुश लगाया जा सकता है इसमें आम आदमी का क्या योगदान हो सकता है .........
मै भी एक गाँधी टोपी लाया
ReplyDeleteहूँ ...और जबतक जन लोकपाल बिल पास नहीं होता ,उसे पहन कर अपनी तरफ से लोगों
को बताने कि कोशिश करूँगा कि ये जन लोकपाल क्या है और किस प्रकार भर्ष्टाचार पर
अंकुश लगाया जा सकता है इसमें आम आदमी का क्या योगदान हो सकता है ........
Ye to bada nek kaam karoge!
hum sab anna ke sath hai.............
ReplyDeleteaur ant me kuch jeet haasil ho hi gayi ....jai hind...
ReplyDeleteइस बार ANNA की नहीं आम जनता की जीत हुई है...ऐसा अभूतपूर्व जन जागरण स्वतंत्र भारत में आजतक नहीं हुआ...
ReplyDeleteनीरज