Saturday, July 4, 2009

कोई गम क्यों नही ?

इन्तजार करना नही
अनुसरण का स्वभाव नही
कोई गिला शिकवा नही
कोई वादा भी नही
उपहास करना आदत नही
और सुनना भी नही
बहुत निराशा भी नही
ज्यादा आस भी नही
तब क्यों कुछ ठीक नही ?
बोझिल मन और भारी कदम है
लगता दिल में कोई गम है
कुछ तो हुआ है ?
जिंदगी ठहर सी गई है
उमंगें लूट सी गई है
गम होकर भी लगता ,
कोई गम नही
यही तो सबसे बड़ा गम है ,
कोई गम क्यों नही ?

5 comments:

  1. zindgee thahar c gyee hai...gum hoker bhi lagta hai koee gum nahi....koee to gum hai jo kaha bhi nahi jata chhupaya bhi nahi jata....tabhi man bojhil hai....

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  2. 'यही तो सबसे बड़ा गम है ,
    कोई गम क्यों नही ? '

    - सुन्दर.

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  3. यही तो सबसे बड़ा गम है ,
    कोई गम क्यों नही

    ये तो अच्छी बात है की कोई गम नहीं............. इस बात का कोई गम न मनाये..........
    सुन्दर रचना है आपकी.......... बहूत अच्छी तरह से दिलके जज्बातों को रखा है

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  4. Good Mark, how u?
    Good poem this one, true and realistic.Pldont loose heart,you will win at last I believe.
    When you yrself start loosing confidence,remember that many more have a faith in you.How can you loose heart?
    shabash,good poem
    Dr.Bhoopendra

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