कठिन शब्द नहीं जानता ,पर इंसान को पहचानता हूँ ....उन भूखे लोगो के लिए मन में कुछ विचार है जिन्हें करना है .जिंदगी के दौड़ में वे शायद पीछे रह गए ....गीता और कुरआन से पहले उन्हें पढना चाहता हूँ.
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मै और भाग नहीं सकता या फिर भागना चाहता ही नहीं ....कुछ ऐसा हुआ है, भागने की लालसा ख़त्म हो गयी ....चूहा दौड़ में अब मन नहीं रमता .....या तो मै बहुत पीछे छुट गया या फिर मेरी सोच जमाने से आगे है .......कुछ भी हो चूहा दौड़ अब मन नहीं रमता ......
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सच बोल कर भी लोग मजे से रह लेते है ...तो फिर झूठ बोल जमता नहीं ....सत्यवादी शायद नहीं हूँ ...पर सत्य के आगोश में जाना चाहता हूँ....
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मै और भाग नहीं सकता या फिर भागना चाहता ही नहीं ....कुछ ऐसा हुआ है, भागने की लालसा ख़त्म हो गयी ....चूहा दौड़ में अब मन नहीं रमता .....या तो मै बहुत पीछे छुट गया या फिर मेरी सोच जमाने से आगे है .......कुछ भी हो चूहा दौड़ अब मन नहीं रमता ......
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सच बोल कर भी लोग मजे से रह लेते है ...तो फिर झूठ बोल जमता नहीं ....सत्यवादी शायद नहीं हूँ ...पर सत्य के आगोश में जाना चाहता हूँ....
बहुत सुंदर .....
ReplyDeleteसच बोल कर भी लोग मजे से रह लेते है ...तो फिर झूठ बोल जमता नहीं ....सत्यवादी शायद नहीं हूँ ...पर सत्य के आगोश में जाना चाहता हूँ....
ReplyDeleteऔर हमेशा युहीं रहना.... !!
सच बोल कर भी लोग मजे से रह लेते है ...तो फिर झूठ बोल जमता नहीं ....सत्यवादी शायद नहीं हूँ ...पर सत्य के आगोश में जाना चाहता हूँ....
ReplyDeleteऔर हमेशा युहीं रहना.... !!
koshish to yahi rahengi ant tak......
DeleteBahut khoob!
ReplyDeleteसुंदर और प्रेरक अभिलाषाएं !
ReplyDeletedhanywaad sir.yahi abhilashayen to meri hai...baaki ka pata nahi...
Deleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteसफल हों.......इरादे कायम रहें...
ReplyDeleteशुभकामनाएँ.
गीता और कुरआन से पहले उन्हें पढना चाहता हूँ.
ReplyDeleteइससे बड़ी इबादत और कोई नहीं ....सीढ़ी सच्ची अभिव्यक्ति!!
क्षमा कीजियेगा - सीधी*
ReplyDeleteकिसी के मन की इबारत पढ़ना ..किसी भी ग्रन्थ को पढ़ने से ज्यादा अच्छा है
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