आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Sunday, November 1, 2009
ज़माना बदल गया !
अब घोडें कम दीखते है । फिल्मों में भी नहीं । उनका भी एक ज़माना था । शान से दौड़ते थे । ....पर अब क्या काम ? बेचारें । रहेगें कहाँ ? हमने तो जगह छोड़ी ही नहीं ।
Aapke jeevan ke rang khush numaa hon, ye dua hai..
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