कोई सिर्फ़ गजरे से घर सजाना चाहता है तो किसी को आकाश ही चाहिए । किसी को कम पर संतोष नही ...सब एक दुसरे को धोखा देने में लगे है । हर कोई दिखावा ही कर रहा ...सादगी तो जैसे बहुत पीछे .....!
किसी के लिए रिश्ते नाते सब नाटक है ...इसी बहाने लूटने का मौका मिल जाता है ....ओह !अग्नि के सात फेरे का कोई मोल नही ....
देह को लाल पिला करना ही आधुनिकता हो गई ...सबको हो क्या गया है !अबूझ पहेली .....हद हो गई है ।
....कोई रोकता क्यों नही ,रोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।
Ye saty kewal aajka nahi..sadiyon ka hai...insani zehniyat aaj kal medeake karan saamne aa rahee hai, itnaahi bhed hai!
ReplyDeleteसत्य कि अभिव्यक्ति है .... दर्द को लिखा है आपने ..
ReplyDeletesahi hai rishte sirf natak hai..patr badal jate hai bas.....
ReplyDeleteक्या बात हो गयी मार्क जी बहुत गुस्से में लग रहे हैं आज तो ...????
ReplyDeleteman ka dard saaf jhalk raha hai... is dard ko banaye rakhe..
ReplyDeletejaane kab se apne darp ya matlab ke chalte yeh dard yeh haal hum sah rahe hain.......
ReplyDeleteaapka prshn jayj hai par shayd anutrit .
ReplyDeletesab naatak hai bhai ...
ReplyDeleteसब कुछ बदल रहा है भाई..सही नही है पर यही आज की दुनिया है बहुत कम ही लोग है जो रोकने का प्रयास करते है..वैसे भी कौन रुके आधुनिकता में डूबे सब बहक गये है...वैसे बात आपने बहुत सही रखी है..
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