आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Thursday, June 25, 2009
हे भगवान् अब इन्तजार नही होता ..........
रातों में नही , दिन में ही तारें नजर आ गए । ऐसा तो सोचा न था ,अश्क आंखों से बह गए । बंद आंखों में तेरा ही चेहरा दीखता है । सुनो तो ,ये मेरा मन तुझसे कुछ कहता है । ख़्वाबों में न सोचा था ,पर तेरे कदम बहक गए । आँख अभी लगी ही थी , तुम चुपके से निकल गए ।
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही सुंदर कविता लिखा है आपने!
ReplyDeletewaah kya baat kahi hai aapane .......bahut khub
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