दिल बैठ गया ....दिल की बातें अन्दर ही रह गई ।
इतना तो पता चल ही गया ....सपना देख रहा था ...जिसे एक दिन टूटना ही था ।
अपमानित भी हुआ ....शायद जिंदगी में पहली बार ....!
उसने मेरे वजूद को हिला कर रख दिया । अन्दर तक हिल गया । दुबारा हिम्मत ही नही बची ....
इतना आकर्षण कभी नसीब नही हुआ था ....पर टुटा तो सीधे फर्श पर गिरा ।
एक सपना .....भूल जाना ही बेहतर है । यही प्रायश्चित है ।
ye prayshit nhi hai .spne dekhege tbhi to aage bdhege .sapna dekhna koi pap nhi hai fir prayshit kaisa?
ReplyDeletevaise pryog gacha hai.
sapne to dekhne hi chihye.....tute ya mile kismat ki baat hai..
ReplyDeleteDreams come true.Zaroor Dekhiye
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