Saturday, March 23, 2019

आज क्या नया सिखा ?


आज क्या नया सिखा ?
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@ मन करे या न करे, जरूरी कार्य की शुरुआत कर देनी चाहिए, समय के साथ कार्य में मन लगने लगता है। सुबह टहलने नहीं जाने और दिन में ज्यादा आराम करने के कारण शरीर और मन दोनों भारी लग रहा था। बिल्कुल चलने का मन नहीं था। फिर भी हिम्मत बांध कर धीरे-धीरे ही सही टहलने का निर्णय लिया। चप्पल ही पहन कर निकल गया। दिल कह रहा था लौट चल.. पर मै नहीं माना । करीब 10 मिनट बाद कुछ मज़ा आने लगा। फिर श्यामा अपार्टमेंट होते हुए जगदेव पथ की ओर निकल गया। धीरे-धीरे मन काफी प्रसन्न हो गया और शरीर में फुर्ती का अनुभव होने लगा।
@ फणीश्वारनाथ रेणु का उपन्यास "कितने चौराहे" पढ़ते हुए मुझे प्रियोदा का पात्र अच्छा लग रहा है । क्या आज हम उस तरह नहीं सोच सकते ? वैसी सादगी आज भी होनी चाहिए और स्वदेशी की अवधारणा आज भी प्रासंगिक है। इस पात्र से मुझे सादगी के साथ- साथ बचत की और प्रेरणा मिली जिसे मैंने सेफ्टी रेजर खरीदते समय अप्लाई किया।
@ बच्चों को जोश दिलाने पर वे अपना काम जल्दी कर लेते है। मेरा बेटा अनुराग अपना होम वर्क करते हुए बहुत टाल मटोल करता है। आज मैंने उसे जोश दिलाया। मैंने कहा अपना बायाँ हाथ निकालो। जब उसने ऐसा किया तो मैंने कहाँ यह तो तुम्हारे लिए बाएं हाथ का खेल है अर्थात तुम इसे मिनटों में कर सकते हो। उसका मन जोश से भर गया और वह पूर्व के आधे से भी कम समय में होम वर्क कर लिया। अब उसकी आँखे विजयी मुद्रा में चमक रही थी। कभी-कभी मै उसका जोश बढाने के लिए उसके कंधे या पीठ पर थपकी दे देता था।

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