वाह !
एकदम रंगीन
इतने पारंगत
नक़ल भी छिप गया
इसे कहते है ...कलाकारी
एकदम रंगीन
इतने पारंगत
नक़ल भी छिप गया
इसे कहते है ...कलाकारी
सच !
हम एक रंगमंच पर
नाच रहे
अपनी अपनी
कला को बेचकर
क्या दिखावा है !
हम एक रंगमंच पर
नाच रहे
अपनी अपनी
कला को बेचकर
क्या दिखावा है !
इसे कहते है ...कलाकारी, bahut badhiyaa
ReplyDeleteवाह...बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
Oh....sach! Aisee hee kalakaaree rah gayee hai!
ReplyDeleteमार्क राय जी आपकी रचना अच्छी लगी पढकर.
ReplyDeleteसमय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
हम एक रंगमंच पर
ReplyDeleteनाच रहे
अपनी अपनी
कला को बेचकर
क्या दिखावा है !
bilkul sach hai...
गहरी बात ....
ReplyDeleteसही है..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप आये,बहुत ही अच्छा लगा.
ReplyDeleteएक बार फिर मेरी नई पोस्ट पर आईयेगा,मार्क राय जी.
बेहतरीन बधाई
ReplyDeletebehatarin shabd bandhan.....sundar ahasas liye hue rachana
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