Saturday, July 30, 2011

दिल बेचैन सा है...........

अभी तक चेहरा जेहन में है । दिल बेचैन सा है ... कुछ सूझ नही रहा । पता नही ऐसा क्यों है । सोचता हूँ , आकर्षण किसी एक से बंधकर नही रहता । उसमे चंचलता कूट कूट कर भरी हुई है । पर यह चंचलता ठीक नही है । अब जाकर जाना ।

3 comments:

  1. सशक्‍त भावों का समावेश हर पंक्ति में ...बहुत ही अद्भुत सोच ...।

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