यादें ....उफ्फ ये यादें । ज़िन्दगी भर का दर्द ...और गम । कभी दिन के उजालें में तो कभी रात के अन्धेरें में । कभी मेले में तो कभी वीराने में हलचल ...
उफ्फ ये यादें .....मानो जीवन भर साथ निभाने का ठेका ले रखा है ।
क्या करूँ ...अब तो इस बेचारे पर उसे दया भी नही आती ।
सच ! सोच कर ही काँप जाता हूँ ....उफ्फ ये यादें ।
aadmai ban jaye diwana, gar beetee batiyan na bhulaye....lekin insaanee jazbaat aise hote hain, ki lamhen bhulaye nahee bhoolte...
ReplyDeleteInheen lamhon ko samettaa hua mera blog hai,"bikhare sitare",tatha 'simte lamhen'...zaroor padharen!
यादों के सहारे आगे बढ़ा जाए तो यादें सार्थक हैं.
ReplyDeleteyaadie jeene bhi nahi deti or jeene ka sahara bhi hoti hai...उफ्फ ये यादें...
ReplyDeleteकाटों को अनदेखा कर ही तो गुलाब का फूल सबका मन मोह लेता है.....यादों के आधार पर यादगार महक सुवासित करने की चेष्टा ही सन्देश देता है प्यारा सा सुन्दर सा गुलाब.
ReplyDeleteचन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
मार्क जी यादें ही तो जीने का सम्बल हैं.
ReplyDeleteकई बार इन यादों के सहारे ही जीवन बिताना पड़ता है,क्या किया जाये?
ReplyDeletehmmmm...gud one...
ReplyDeleteyadon ka safar...kis se nahi tay karna padta>>>
ReplyDeleteहर वो मुस्कुराट जो दिल को सुकून दे आने दें.....!!
ReplyDeleteदिन जो पखेरू होते पिंजरे में मैं रख लेती ......!!
yadon ke sahaare hi to ham jindaa hain ,kabhi bachpan ki kabhi, pyaarki, kabhi dost ki, apne atit ki !
ReplyDeleteSahi kaha aapne...ye yaadein bahit takleef deti hain...
ReplyDeleteyaaden yaaden ........ सच में ये yaade pareshaan करती हैं .......... पर इन के बिना जीवन भी तो नहीं ........
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
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