Tuesday, September 1, 2009

क्यों ?

रंगीली दुनिया कभी बेरंग क्यों लगती है ?
ज़िन्दगी इतनी छोटी है ,फ़िर लम्बी क्यों लगती है ?
इंसान दयालु से हैवान कैसे बन जाता है ?
कोई क्यों किसी को छोड़ कर चला जाता है ?
.....अंत में सब शून्य ही क्यों दीखता है ?

6 comments:

  1. शून्य से शुरू हो जीवन शून्य में मिल जाता है ..अनित्य से नित्य की ओर चलने वाला ये सफ़र होता है ..
    जीवन तो इत्तेफाक़न मिलता है...मृत्यु अटल होता है...

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  2. kyun ka jwab to nahi hai...par hai sab sunaye hi...achhi post par bahut der baad likha aapne...

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  3. YE TO JEVAN KI NIYATI HAI ... SHUNY SE SHURUAAT HOTI AI AUR SHUNY PAR HI KHATM HOTI HAI .... ACHHA LIKHA HAI ...

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  4. वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया लगा! बिल्कुल सच्चाई का बयान किया है आपने!

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  5. Phir ek baar aapka likha padhne chalee ayee...

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