Saturday, September 3, 2022

अंत

 अंत की शुरुआत तो हमारी सोच के विकृत होने से ही हो जाती है। अंत बाद में दिखाई देता है।सोच का विकृत होना ही मृत्यु है। शरीर भले ही बाद में जलाया जाता है।  अंत का दृश्य दिखाई नहीं देता,इसका मतलब यह नहीं कि वह अंत नही है। यह मिथक टूट भी सकता है या फिर इसी मिथक के साथ इस दुनिया से जाने का समय भी हो जाता है।


प्रार्थना।

 छह साल का भोला एक गड्ढे में मछली पकड़ रहा था।भोला के हाथों से बार-बार गरई फिसल जा रही थी। वह परेशान होकर कहा:

' हे गरई महाराज अगर तुम मेरे पकड़ में आ जाओगी तो मैं भगवान जी को दो लड्डू चढ़ाऊंगा।'

इसके बाद वह एकाग्र हो पुनः गरई के सामने आने की प्रतीक्षा करने लगा।

चुपचाप ठुसो।

बनारसी खाट पर बैठे चिल्ला रहा था। कलपतिया ने उसे खाना देते हुए कहा:

'बकवास मत करो।  चुपचाप ठुसो। मुझे अभी दो और घरों में बर्तन मांजने जाना है। तबतक बच्चे भी ईस्कूल से आ जायेगें।'

इतना कहकर वह भनभनाते हुए बाहर निकल गई।

Sunday, February 21, 2021

मौन

मौन वरदान है 
और अभिशाप भी
दो रास्तें है 
अब तय करना है 
कि चुनाव किसका हो

दोराहे पर खड़ा राहगीर
सोच रहा 
कदम किधर बढायें
मौन को कैसे साधें 
विकट समय है
निर्णयन की घड़ी है
वरदान या अभिशाप

Tuesday, February 11, 2020

यह खून लाल ही रहेगा

यह खून लाल ही रहेगा
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पैरों तले खिसक गई जमीन
मै धूल फांकता रह गया
गर्दन के निशान अभी मिटे भी नहीं थे
तभी यह एहसास हुआ
कुछ साहित्य वास्तव में बकवास है
जो चारणों द्वारा रचित है
पारलौकिक चरण वंदना
और अप्रतिम गुलामी
चारण साहब को ही मुबारक
माफ़ करें
यह खून लाल ही रहेगा
और लाल ही बहेगा
भले आप मुझे पटखनी दे दी

चन्द्रकुमार उर्फ़ चंदू लगातार सीढियाँ चढ़ता जा रहा।

1) चन्द्रकुमार उर्फ़ चंदू लगातार सीढियाँ चढ़ता जा रहा। मन में लालसा लिए हुए देव दर्शन की। दमे की बिमारी को दबा कर। अन्य दर्शनार्थियों से प्रेरित होकर तीन मील चढ़ गया। अभी आठ मील जाना है।
'हे भगवान् ! अब नहीं चला जाता ' कहते हुए एक वीरान शीला पर बैठ गया। हाँफते हुए सोच रहा- काश ! देव दर्शन यहीं हो जाते।
2) बच्चे ईश्वर के खूबसूरत उपहार होते है। उन्हें प्रेम ही देना चाहिए। दु:ख तब होता है जब उनसे कुछ समय पहले जन्म लिए हुए कुछ विद्वान् लोग बच्चों को बुद्धिहीन समझ कर लताड़ लगा देते है। अथवा कुछ थोड़े धनी पर धरती के लिए बोझ दुष्टात्मा ...गली के बच्चों को हिकारत भरी नज़रों से देखते है।
2) सुखद और कामयाब जीवन के लिए हमें कुछ ऐसी स्वस्थ आदतें विकसित करनी चाहिए जो लगातार हमारे साथ चले। यह आसान नहीं है पर किया जा सकता है। हाँ इसे डेवेलप करने में सालों लग सकते है। आदत हमारी रूचि के अनुसार हो सकता है। हमें जो सबसे अधिक अरुचिकर लगता हो वह भी आदत में बदल जाय तो फिर हमेशा हमारे साथ ही रहता है।

Friday, January 24, 2020

ट्रेन भागी जा रही है।


ट्रेन भागी जा रही है।
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सरसों के लहलहाते खेत। गुज़रते जा रहे है। ट्रेन सिटी देते हुए चलती जा रही है। ऐसा लग रहा है कि पीछे कुछ छुट गया है। कई यात्री बातों में मशगुल है। बैठने को लेकर बहसबाजी जारी है। एक छोटा बच्चा भीड़ को देखकर रोये जा रहा है। उसकी माँ चुप कराने की कोशिश कर रही है। दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव पर बहस जारी है। कुछ विद्यार्थी लोग उपरी सीट पर कब्ज़ा जमा लिए है। वे मोबाइल में लाफ्टर चैनल देख कर मज़े ले रहे है। भीड़ में झाल-मुढ़ी बनाने वाला भी घुस आया है। कई लोग उसे कोस रहे है तो कई झाल -मुढ़ी बनवा कर खा रहे है।

सर्दी काफी है। इसलिए भीड़ सहनीय है अन्यथा गर्मी में तो हालत खराब हो जाती। मोकामा के पहले कुछ लोग चैन पुल्लिंग कर ट्रेन को रोक दिए है। कुछ यात्री उन्हें निक्कमा और चोर उच्चका बता रहे है। एक सज्जन उन्हें जेल में डाल कर 10 साल की सजा देने की बात कर रहे है। महोदय के अनुसार जबतक कड़े कानून नहीं होंगे तबतक देश नहीं सुधरेगा।
गाँवों में कुकुरमुते की तरह प्राइवेट स्कूल खुल रहे है। लोग पागल हो गए है.. क्योंकि वे अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में भेज रहे है। हमारे जमाने में सरकारी स्चूलों का क्या क्रेज था ! इस विचार को एक बुजुर्ग द्वारा प्रकट किया गया। दुसरे ने कहाँ भाई साहब लोग पागल नहीं समझदार है। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को तबाह कर दिया है। आप बताईये लोगो के पास कोई विकल्प है क्या ?
बिहार के लोगों के व्यवहार पर भी चर्चा जारी है। ये कहीं जाते है वहीँ थुक देते है। मैनर नाम की चीज नहीं है। नियम कायदा नहीं मानना इनका जन्मसिद्ध अधिकार है। एक ने इस बात का प्रतिवाद किया और कहा आप कुछ हद तक गलत है। ये मेहनती होते है। हर परीक्षा में इनका डंका बजता है।
लखीसराय स्टेशन पर कुछ ग्रामीण बोरा,टोकड़ी,झोला आदि लेकर ट्रेन में चढ़ गए है। इससे एक सोकाल्ड बुद्धिजीवी को बहुत परेशानी हुई। उनके अनुसार हिन्दुस्तान की आबादी बढ़ गयी है और सरकार सोयी हुई है। अब नहीं जागी तो खूब मार काट मचने वाली है। चीन को देखिये। कैसे उसने आबादी पर नियंत्रण कर लिया। ...और हमारे देश में तथाकथित लोकतंत्र में कुछ भी संभव नहीं।

लगातार बहस जारी है। मै उठा और ट्रेन रुकने पर अपने स्टेशन पर उतर गया। हाँ दिमाग में कुछ हलचल जरूर है।
#गपशप

Thursday, August 15, 2019

ख़ुशी की हकीकत


ख़ुशी की हकीकत को
यहां मरते देखा है
तथाकथित व्यवस्था को
कराहते देखा है
प्रकृति को रौंद कर
ईश्वर का
गुणगान करते देखा है
रहनुमाओं द्वारा
निरीह मनई की लाशों पर
वृतचित्र को
रिलीज होते देखा है
संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
मानवता की नीचता
तंत्र की असहिष्णुता
और तथाकथित भगवानों की
नपुंसकता को देखा है
ख़ुशी की हकीकत को
यहाँ मरते देखा है