इन्तजार करना नही
अनुसरण का स्वभाव नही
कोई गिला शिकवा नही
कोई वादा भी नही
उपहास करना आदत नही
और सुनना भी नही
बहुत निराशा भी नही
ज्यादा आस भी नही
तब क्यों कुछ ठीक नही ?
बोझिल मन और भारी कदम है
लगता दिल में कोई गम है
कुछ तो हुआ है ?
जिंदगी ठहर सी गई है
उमंगें लूट सी गई है
गम होकर भी लगता ,
कोई गम नही
यही तो सबसे बड़ा गम है ,
कोई गम क्यों नही ?
ReplyDeleteदिनांक 24 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
अंतिम पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDeleteगम लग जाए एक बार तो जीना दुश्वार हो जाता है ...
ReplyDeleteअच्छा लिखा है बहुत ही ...
गम और ख़ुशी लगी रहती है
ReplyDeleteजिन्दगी को ज़िंदा रखना जरुरी है ....
सुंदर रचना !