Friday, February 22, 2013

कोई गम क्यों नही ?


इन्तजार करना नही
अनुसरण का स्वभाव नही
कोई गिला शिकवा नही
कोई वादा भी नही
उपहास करना आदत नही
और सुनना भी नही
बहुत निराशा भी नही
ज्यादा आस भी नही
तब क्यों कुछ ठीक नही ?

बोझिल मन और भारी कदम है
लगता दिल में कोई गम है
कुछ तो हुआ है ?
जिंदगी ठहर सी गई है
उमंगें लूट सी गई है
गम होकर भी लगता ,
कोई गम नही
यही तो सबसे बड़ा गम है ,
कोई गम क्यों नही ?

5 comments:


  1. दिनांक 24 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. अंतिम पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं

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  3. गम लग जाए एक बार तो जीना दुश्वार हो जाता है ...
    अच्छा लिखा है बहुत ही ...

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  4. गम और ख़ुशी लगी रहती है
    जिन्दगी को ज़िंदा रखना जरुरी है ....
    सुंदर रचना !

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